गुरु दीक्षा हेतु
आवेदन करें
ठा. श्री राधावल्लभ लाल जू,
श्रीधाम वृन्दावन
संध्या विवाह उत्सव दर्शन
ठा. श्री राधावल्लभ लाल जू, श्रीधाम वृन्दावन
श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय आचार्य श्री हित सूरज गोस्वामी
मुख्य सेवायत रासवंश अधिकारी निज महल वाले
छप्पन भोग दर्शन
ठा. श्री राधावल्लभ लाल जू, श्रीधाम वृन्दावन
साधु संत सेवा मनोरथ
ठा. श्री राधावल्लभ लाल जू, श्रीधाम वृन्दावन
Thumbnail 1
Thumbnail 1
Thumbnail 2
Thumbnail 3
Thumbnail 4

गो० श्री हित हरिवंश महाप्रभु जी

img
वंशी प्रेमावतार प्रेमवरूप रसिकाचार्य अनन्त श्री हित हरिवंश चंद्र महाप्रभु जु जो की निकुंज में श्री जुगल जोड़ी के अनंत प्रेम स्वरूप निज सखी श्री हित सजनी जु है । श्रीहित हरिवंश महाप्रभु जु श्रीजी की कृपा से धराधाम में रसिक संतों के कल्याण एवं अनन्या भक्तों को हित रसोपासना के सागर में डुबकी लगवाने के लिए प्रकट हुए । “ हित की यहाँ उपासना हित के हैं हम दस , हित विशेष रखता रहे चित नित हित की आस “ श्रीहित हरिवंश महाप्रभु जी एकमात्र संत हुए जिनका जन्म ब्रज में बाद ग्राम में हुआ । जब श्रीहित जु महाराज श्री राधावल्लभ लाल जु को लेकर श्रीधाम वृंदावन पधारे तब वृंदावन एक सघन वन था लता पता से घिरा हुआ , डाकू और जंगली जानवर के डर से वृंदावन कोई संधू संत रहते नहीं थे , उन्होंने श्रीहित राधावल्लभ लाल जी को सघन वन में लता पता के मध्य कुंज की स्थापना कर श्रीहित राधावल्लभ लाल जु को लाड लड़ाए । श्रीहित हरिवंश महाप्रभु जी ने छह : माह में ही श्रीजी की कृपा बल से श्री राधासुधानिधि ग्रंथ की रचना कर दिए जिनको लिपिबद्ध उनके ताऊ जी श्री नरसिंहश्रम जी ने किए । श्री हित हरिवंश महाप्रभु ने रसोनपासना का गुड़ निकुंज रस प्रसादी अन्य ग्रंथों में प्रदान किए - श्रीहित चौरासी जी , श्री स्फुट वाणी , श्री यमुनाकटाक्ष एवं अनन्या रचनाओं से रसिकों को निकुंज प्रेम रस की प्राप्ति करवाई जो की ब्रह्मा शुक आदि को भी दुर्लभ है।
img

ठा० श्री हित राधावल्लभ लाल जू

निभृत निकुंज विलासी अनन्या कोटि ब्रह्मांड के नायक ठा॰ श्री हित राधावल्लभ लाल जु को शंकर जी ने अपने इष्ट श्रीहित राधावल्लभ लाल जी को कई कोटि कल्पों तक अपने कैलाश पर्वत में सेवा किए , अपने भक्त के अपने सबसे प्रिय को मांगने पर श्री राधावल्लभ लाल की कृपा अपने भक्त पर प्रदान की जिनको जुगल प्रेम स्वरूप श्रीहीत हरिवंश महाप्रभु जी वृंदावन में शंकर जी की विधिवत रीति से श्री राधावल्लभ लाल जी को सेवा एवं लाड़ लड़ाए। ये परंपरा आज भी राधावल्लभ लाल जी मंदिर में श्रीहीन हरिवंश महाप्रभु जी के वंशज द्वारा बिधि पूर्वक ठाट बाट से लाड़ लड़ाया जाता है । मंदिर के गर्भ गृह में केवल श्रीहीत हरिवंश महाप्रभु जी के वंशज श्रीहीत कुल के आचार्य स्वरूप ही प्रवेश एवं श्रीजी की निज सेवा की अनुमति है । जिन्हे सभी “ जै जै “ कह कर संबोधित करते है |
img

आचार्य श्री हित सूरज गोस्वामी

श्री राधावल्लभ संप्रदाय के आचार्य श्री हित सूरज गोस्वामी जी, प्रसिद्ध आचार्य श्री हित प्रमोद चंद्र गोस्वामी जी महाराज के पोते और प्रसिद्ध श्री श्री हित आचार्य 'प्रकाश चंद्र गोस्वामी जी' महाराज के पुत्र हैं। वह श्री हित हरिवंश महाप्रभु (भगवान कृष्ण के बंसी अवतार) के वंशज हैं, जिन्होंने वृन्दावन में राधा वल्लभ मंदिर की स्थापना की और अष्टयाम सेवा करके भगवान की सेवा करते थे। और अब तक राधावल्लभ जी को अष्टयाम सेवा अर्पित की जाती है। महाराज श्री हित कुल वंश परम्परा के 19वें आचार्य हैं। इसके अतिरिक्त, महाराज जी, वृन्दावन महिमामृत की दिव्य कथाओं के वर्णन के माध्यम से, हजारों लोगों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, उन्हें सही मार्ग दिखाकर प्रिया प्रियतम (प्रिय भगवान) की सेवा की ओर निर्देशित करते हैं। इस कारण महाराज जी के अनेक शिष्य हैं।
गद्दी बैठक पर दर्शन का समय - सुबह 11 AM से 2 PM , संध्या 5 PM से 7 PM.
दीक्षा, सेवाओं की जानकारी एवं मंदिर से जुड़ने के लिए संपर्क करें :
सेवा संपर्क सूत्र :7060761907 , (whatsapp) 9694261907
img