नाम-वाणी निकट श्याम-श्यामा प्रगट,
रहत निशि-दिन परम प्रीती जानी |
नाम-वाणी सुनत श्याम-श्यामा सुबस,
रसद माधुर्य अति प्रेम दानी ||
नाम-वाणी जहाँ श्याम-श्यामा तहाँ,
सुनत गावंत मो मन जु मानी |
बलित शुभ नाम बलि बिशद कीरति जगत,
हौं जो बलि जाऊँ हरिवंश-वाणी ||